7 साल की बच्ची की हत्या के दोषी को मृत्युदंड
जिस प्रकार बालिका की बर्बरतापूर्वक, जघन्य तरीके से हत्या की गई वह उसकी (आरोपी) क्रूर, बर्बर मानसिकता, संवेदनहीनता, पाशविक प्रकृति को दर्शित करता है। ऐसा अपराधी किसी भी प्रकार की दया, संवेदना का पात्र नहीं है। ये टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने सोमवार को सद्दाम को फांसी की सजा सुनाई है।
कोर्ट ने कहा है कि जिस प्रकार बालिका की बर्बरतापूर्वक, जघन्य तरीके से हत्या की गई वह उसकी (आरोपी) क्रूर, बर्बर मानसिकता, संवेदनहीनता, पाशविक प्रकृति को दर्शित करता है। ऐसा अपराधी किसी भी प्रकार की दया, संवेदना का पात्र नहीं है। उसके द्वारा भविष्य में किसी अन्य बालिका के साथ इस प्रकार के अपराध की पुनरावृत्ति किए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। अभियुक्त द्वारा मृतिका मासूम बालिका के साथ बर्बरतापूर्वक इस तरह का अपराध किया जाना किसी भी सामान्य मस्तिष्क की चेतना में आक्रोश व घृणा उत्पन्न कर सकता है। अभियुक्त द्वारा जिस बर्बर तरीके से अमानवीयता की हदों को पार करके यह अपराध किया गया है वह स्पष्ट करता है कि अभियुक्त पूरे समाज के लिए खतरनाक है, समाज के लिए नासूर है, उसका पुनर्वास होना संभव नहीं है। अत: इस मामले में अभियुक्त द्वारा किया गया अपराध विरल से विरलतम की श्रेणी में आता है।
विशेष लोक अभियोजक सुशीला राठौर ने बताया कि विशेष न्यायाधीश सुरेखा मिश्रा की अदालत ने 7 वर्षीय मासूम के हत्याकांड के आरोपी सद्दाम को दोषी करार देते हुए धारा 302 आईपीसी में मृत्यु दंड एवं धारा 364 आईपीसी में आजीवन कारावास तथा 363 आईपीसी एवं 9एम/10 पॉक्सो एक्ट में 07-07 वर्ष का तथा 342 भादंवि में 01 वर्ष का सश्रम कारावास तथा कुल 9000/- रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया। अदालत के समक्ष अभियोजन ने 23 गवाहों को पेश किया था। इस केस में 12 वर्षीय बालक की गवाह को अदालत ने महत्वपूर्ण माना। वह बालिका की फूफी का लड़का है और तब वह उसके साथ था। उसने सद्दाम को बालिका की हत्या करते हुए देखा।