रुद्राक्ष महोत्सव से खाली हाथ लौटे लोग 

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रुद्राक्ष महोत्सव के पहले ही दिन यहां व्यवस्थाओं की हकीकत सामने आ गई। देशभर से आए लोग बिना दर्शन और रुद्राक्ष लिए बिना ही जब मायूस होकर लौटने लगे तो उनके मन में गुस्सा था। अपनी आंखों के सामने लोगों को भगदड़ में मरते देखने वाले लोग यहां के सरकारी सिस्टम और पंडित प्रदीप मिश्रा को कोस रहे थे। वो हमसे पूछ रहे थे कि जब लाखों लोगों को बुलाया था तो व्यवस्था क्यों नहीं की गई? उन्होंने कहा कि वे जिंदगी में कभी कुबेरेश्वर धाम नहीं आएंगे। लोगों ने ये भी पूछा कि सरकार और कलेक्टर-एसपी ने आखिरकार यहां इतने लोगों को जुटने की अनुमति कैसे दे दी? अनुमति देने से पहले उन्होंने व्यवस्था क्यों नहीं बनाई?

भूखे-प्यासे लोग रुद्राक्ष के चक्कर में बदइंतजामी के शिकार हो गए। वे बार-बार ये सवाल पूछ रहे थे कि जब पिछले साल भी यही हालात बने थे तो फिर इस बार उससे सबक क्यों नहीं लिया गया?

लोग यहां अपनों को ढूंढते हुए दिखे। फोन नहीं लगने से लोग अपनों को खोजने के लिए भीड़ में इधर से उधर भाग रहे थे कोई अपनी मां को ढूंढ रहा था तो कोई पति को..ऐसे यहां दर्जनों लोग जिनके पास मोबाइल नहीं था, वो पर्चियों में लिखे नंबर देकर फोन करने की गुहार लगा रहे थे

महाराष्ट्र निवासी सुशील बोले कि रुद्राक्ष फेंक कर देने की वजह से भगदड़ मची। उनके साथ मौजूद युवती ने गुस्से में अपना दर्द बताया हम यहां भगवान की लीला देखने आए थे, लेकिन यहां पैसों की लीला चल रही है। यहां कथा बंद होनी चाहिए। जब इतनी अव्यवस्था थी, तो रुद्राक्ष महोत्सव नहीं करना था। रुद्राक्ष फेंकने की वजह से एक महिला दब गई। उसकी मौत हो गई। उसकी जान की भरपाई बाबा को करनी चाहिए।

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