कवि सम्मेलन का नाम ‘बजरबट्‌टू’ क्यों पड़ा?

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तय हुआ कि नाम ऐसा रखा जाए जो खुद ही हास्य पैदा करे इसलिए नाम ‘बजटरबट्‌टू’ रखा गया। दरअसल ‘बजरबट्‌टू’ का अर्थ होता है पहाड़ी पर चलने वाला घोडा। इस घोड़े का काम ऐसा रहता है कि उस पर जो सामान लाद दिया जाए वह काम निपटा कर वापस आता है। दूसरी ओर पत्रकारों को भी देखे तो उनका भी काम यही रहता है कि वे जिस मिशन के लिए निकलते हैं वह काम पूरा व्यवस्थित करके आते हैं। इसके चलते कार्यक्रम का नाम पत्रकारों को समर्पित कर नाम ‘बजरबट्‌टू’ रखा गया।

पहले रंग पंचमी पर निकलने वाले गेर में परिवारों की सहभागिता नहीं हो पाती थी। स्थिति यह थी कि महिलाएं आती नहीं थी क्योंकि अश्लीलता, फूहड़ता होती थी। ऐसे में गेर बंद कर भव्य शोभा यात्रा का मन बनाया। 1999 में वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय से चर्चा की कि इस शोभायात्रा में आपको अनोखे रूप में लेकर आना चाहते हैं। यह भी बताया कि इस शोभा यात्रा को रंग पंचमी के एक दिन पहले निकालने का मन है इसमें विजयवर्गीय का बहुत सहयोग मिला।

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