चक्का जाम कर मंडी बंद कर दी।
इस बार 25 मार्च से समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही है तथा सरकार इसका मूल्य 2125 रु. रखा है। इसे लेकर चार दिन हो गए हैं लेकिन अच्छा प्रतिसाद नहीं मिल रहा है। इस बार 32 हजार से ज्यादा किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। किसान इस उम्मीद में थे कि इस बार गेहूं अच्छा बिकेगा लेकिन इस बीह बारिश और ओला वृष्टि से उन्हें नुकसान हुआ है। कई स्थानों से किसान गेहूं लेकर मंडियों में पहुंच रहे हैं लेकिन गेहूं में नमी, चमक नहीं होने से व रंग फीका पड़ने से उन्हें खरीदा नहीं जा रहा है।
मंगलवार को भी ऐसी ही स्थिति बनी। सांवेर, देपालपुर सहित कई स्थानों से किसान गेहूं लेकर पहुंचे। कुछ देर बाद दूसरे स्थानों से भी किसान पहुंचे तो नीलामी में गेहूं की क्वालिटी देख मंडी कर्मचारियों ने उसे 1600 रु. खरीदने की बात कही जबकि किसानों का कहना था कि यह प्राकृतिक रूप से खराब हुआ है लेकिन इतना भी खराब नहीं है। रेट तो अच्छा मिलना चाहिए लेकिन मंडी के कर्ताधर्ताओं ने मना कर दिया। इस पर किसान बिफर पड़े और हंगामा शुरू कर दिया। उन्होंने मंडी प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। फिर बाहर चक्का जाम कर मंडी बंद दी।
किसानों ने कहा कि एमएसपी से नीचे गेहूं बिक रहा है, चार दिन से तौल कांटे बंद हो गए तथा 31 मार्च आखिरी तारीख है। इसी दिन हमें सोसाइटियों में रुपए जमा कराना है। मंडी ने यह कहकर तौल कांटे बंद कर दिए कि आपका गेहूं गीला है। किसानों ने कहा कि मंडी में 1600 से 1800 रु. में गेहूं खरीदने की बात कही जा रही है। व्यापारी और मंडी कर्मचारी आपस में सेटिंग कर लेते हैं जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसानों की समस्या यह है कि 31 मार्च के बाद सोसाइटियों में रुपए जमा करेंगे तो उन्हें डिफाल्टर माना जाता है। उन्होंने मांग की कि या तो तारीख बढ़ाई जाए या फिर अच्छी कीमत में खरीदी की जाएं। संयुक्त किसान मोर्चा के रामस्वरूप मंत्री, बबलू जाधव, शैलेंद्र पटेल और लाखन सिंह डाबी ने बताया कि मामले में मंडी प्रशासन व किसानों के बीच बैठक में हुई। इसमें सहमति बनी कि समर्थन मूल्य से नीचे की कीमत के मामले में पहले किसानों की राय ली जाएगी। उनकी सहमति के बाद ही गेहूं की खरीदी की जाएगी। मंडी सचिव नरेश परमार ने बताया कि मंडी में खुली नीलामी में रेट समर्थन मूल्य से ऊपर भी जाता है और नीचे भी जाता है। ऐसा माल जो नमी के कारण या किसी अन्य कारण से समर्थन मूल्य के नीचे नहीं बेच सकते तो किसान परेशान हो जाते हैं। किसानों से बातचीत के बाद सहमति बन गई है। दोपहर 1 बजे मंडी में नीलामी फिर शुरू हो गई है।