अजय देवगन, तब्बू की भोला
फिल्म का नायक दस साल सजा काट चुका भोला (अजय देवगन) है। वह जेल से रिहा होकर अपनी बेटी से मिलने के लिए निकलता है, तभी पुलिस ऑफिसर डायना जोसेफ (तब्बू) उससे मिलती है। डायना, भोला से ट्रक चलाकर हॉस्पिटल पहुंचाने के लिए कहती है, पर भोला मना कर देता है। आखिर डायना के कहने पर भोला ट्रक लेकर निकलता है, तब डायना की जान के दुश्मन बने कई आपराधिक गुट के लोग उस पर हमला कर देते हैं।
इन हालातों से बचते-बचाते भोला कैसे आगे बढ़ता है, यही कहानी का रोचक पहलू है और इसका मजा थिएटर में फिल्म देखने में आएगा। उस ट्रक में बेसुध पड़े 40 आला पुलिस अफसर हैं, जिनकी जान बचाने का नैतिक दबाव भोला पर है।
लगभग चोट खाई शेरनी की तरह तब्बू अपने अग्रेसिव पुलिसिया किरदार में जबर्दस्त अभिनय करती दिखाई देती हैं। फिल्म में तब्बू को सबसे ज्यादा स्पेस मिला है, यह उनके लिए बड़ा प्लस पॉइंट है। अजय देवगन की अदाकारी कहीं नम तो कहीं सशक्त दिखाई देती है। उनके किरदार के साथ इतनी लिबर्टी ली गई है, जो कहीं-कहीं अस्वाभाविक लगती है।
उम्दा और मंझे कलाकार संजय मिश्रा और विनीत कुमार की बात ही क्या करना है, इन्हें पर्दे पर थोड़ा भी स्पेस मिल जाए तो रंग जमा जाते हैं। रही बात दीपक डोबरियाल की तो फिल्म-दर-फिल्म उन्हें न सिर्फ लंबा रोल मिल रहा है, बल्कि अपनी कलाकारी से उसे जीवंत करने में ये सफल भी दिखाई देते हैं।