आज 7 अप्रैल को ‘वर्ल्ड हेल्थ डे’ है। तेजी से बढ़ती बीमारियों को लेकर लगातार जहां एक्सपर्ट्स खराब लाइफ स्टाइल, तनाव, धूम्रपान आदि कारण बताते हैं उसके साथ ही खानपान पर नियंत्रण, योग तथा इलाज के साथ दादा-दादी के नुस्खे अपनाने की सलाह दे रहे हैं। उनका कहना है कि वे पहले जिस मोटे अनाज (मिलेट्स) का सेवन करते थे, वो गरीबों वाला नहीं, सेहत के लिए सबसे फायदेमंद है। खानपान में इससे अच्छा कुछ नहीं है। लाइफ स्टाइल बदलने से बच्चों से लेकर खासकर युवा ओबेसिटी, डायबिटीज, हायपरटेंशन, किडनी सहित कई बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं। इन दिनों ज्यादा मामले कार्डियेक अरेस्ट के भी आ रहे हैं। इसमें कोलेस्ट्रॉल की मात्रा ज्यादा होने, खून का थक्का जमने आदि के पेशेंट्स बढ़ रहे हैं।

सबसे बड़ी समस्या आज की लाइफ स्टाइल है। इसमें जंक फूड, धूम्रपान, व्यायाम नहीं करना, लम्बी सीटिंग आदि के चलते लोगों में हार्ट, ओबेसिटी, डायबिटीज, हायपरटेंशन, किडनी की बीमारी तो बढ़ ही रही है कैंसर के भी शिकार हो रहे हैं।

वे भोजन खाए जो आपके दादा-दादी, नाना-नानी खाते थे ताकि अच्छी सेहत के साथ अच्छी जिंदगी जी सके। पुराने लोग गेहूं के अलावा मक्का, ज्वार, बाजरा भी खाते थे। लोग इसे भूल गए हैं जबकि यह अच्छा अनाज है। सभी रोटी में सबसे बुरी मैदे की रोटी है। जितना रिफाइन (बारीक) अनाज होगा वह उतना नुकसानदायक है। मैदे से मतलब ब्रेड से है, इसका सेवन नहीं करना चाहिए। गेहूं सहित सभी अनाज की रोटियां बदल-बदलकर खाएं। मोटा अनाज गरीबों का भोजन नहीं है, यह लोगों को स्वस्थ रखने के लिए हैं।

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