गौहर जान रातभर गांधी जी का इंतजार करती रहीं
गौहर जान। एक ऐसी गायिका जो भारत में पहला गाना रिकॉर्ड कर रिकॉर्डिंग करने वाली पहली सिंगर बनीं। 26 जून 1873 को जन्मीं गौहर जान की आज 140वीं बर्थ एनिवर्सरी है। इनकी फीस इतनी ज्यादा कि हर कोई चुकाने में झिझकता, लेकिन टैलेंट ऐसा कि हर कोई इनके गाने रिकॉर्ड करना चाहता। जब सोने की कीमत 20 रुपए तोला थी, तब ये एक गाना रिकॉर्ड करने के 3 हजार और गाने की प्रस्तुति में नजराने के तौर पर 1000 से ज्यादा की रकम लेती थीं। आम जनता के लिए इनके गाने सुन पाना एक सपना था, इसलिए ग्रामोफोन कंपनी ने इनके गाने रिकॉर्ड कर आम जनता तक पहुंचाए। गाने के लिए बुलाने पर इन्हें पर्सनल ट्रेन तक दी गई। हर रिकॉर्डिंग में ये बिना रिपीट किए सोने-चांदी के कीमती गहने पहनकर पहुंचतीं और लोगों को हैरान कर देतीं। ये उस जमाने की पहली करोड़पति सिंगर थीं।
जब गांधी जी ने स्वराज आंदोलन की शुरुआत की तो उन्होंने फंड इकट्ठा करने के लिए तवायफों से मदद मांगी। फंड की सख्त जरूरत थी, तो गांधी जी कोलकाता की सबसे मशहूर तवायफ गौहर जान के पास पहुंचे, जिनके हुनर और अमीरी के चर्चे देशभर में थे। गौहर जान ने फंड इकट्ठा करने के लिए हामी तो भर दी, लेकिन शर्त ये रखी कि जब वो महफिल में गाएं तो गांधी जी भी वहां मौजूद रहें।
गांधी जी मान गए, लेकिन जब महफिल शुरू हुई तो वो पहुंचे ही नहीं। गौहर जान रातभर गांधी जी का इंतजार करती रहीं, लेकिन हाथ बस मायूसी आई। इस महफिल से गौहर ने पूरे 24 हजार रुपए का चंदा इकट्ठा किया। जब अगले दिन गांधी जी ने अपने साथी मौलाना शौकत अली को चंदा लेने भेजा तो गौहर गुस्से से भरी बैठी थीं। उन्होंने पैसे मांगे तो गौहर ने महज 12 हजार रुपए देते हुए कहा- आपके बापूजी ईमान की बात तो करते हैं, लेकिन एक मामूली तवायफ से किया गया वादा पूरा नहीं कर सके। वो खुद नहीं आए इसलिए स्वराज फंड अब आधी रकम का ही हकदार बनता है। गौहर जान ने तवायफ संघ बनाया और खूब पैसे इकट्ठा किया। इस फंड से गौहर ने गांधी जी के असहयोग आंदोलन को सहयोग दिया।