जमीन घोटाले में फंसने के बाद पुलिस डरी-डरी सी है। जमीन संबंधित प्रकरणों में एफआइआर रोक ली गई है। अफसर लोकायुक्त से भयभीत हैं। तत्कालीन अपर कलेक्टर, थाना प्रभारी, नायब तहसीलदार पर भ्रष्टाचार अधिनियम की एफआइआर दर्ज की गई है। मामला जमीन घोटाले का है जिसमें पुलिस ने बगैर सबूतों के एफआइआर दर्ज की थी। अफसर सवाल-जवाब में उलझे थे कि लोकायुक्त ने एक अन्य घोटाले में दूसरा नोटिस जारी कर दिया। हाल ही में हुई एक बैठक में अफसरों ने सर खुजाते हुए कहा कि ऐसे तो पुलिस हरेक केस में लोकायुक्त के जाल में फंस जाएगी। इसका कुछ तोड़ निकालना होगा। बैठक में मौजूद अफसर ने कहा कि एफआइआर करने के पहले लोकायुक्त से एनओसी लेनी चाहिए। आवेदकों को परेशान नहीं होना चाहिए। जब तक लोकायुक्त एनओसी न दे दे एफआइआर ही न लिखी जाए। बताते हैं दोनों प्रकरणों में फंसने के बाद अफसर कोर्ट जाने की तैयारी में जुट गए हैं।

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