पांच तोपों की सलामी भी दी जाती थी।
वहीं राज परिवार के पुजारी लीलाधर वारकर गुरुजी बताते हैं कि ‘ होली दहन की परंपरा 1728 में होलकर राज्य के संस्थापक सूबेदार मल्हाराव होलकर ने की थी जो आज भी कायम है। यह पर्व पांच दिन मनाया जाता था। तैयारी एक महीने पहले दांडी पूर्णिमा से शुरू हो जाती थी। होलिका दहन के लिए राजवाड़ा चौक को धोकर तैयार किया जाता था। तब होलकर रियासत में चार बग्घियों में सवार होकर होलकर शासक आते थे। होलकर सेना द्वारा सलामी दी जाती थी। दहन पर घुड़सवार बंदूकधारियों द्वारा 21-21 राउंड के फायर किए जाते थे। इसके साथ ही पांच तोपों की सलामी भी दी जाती थी।
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