हमारी मूर्तियों को ‘पत्थर का बुत’ कहते हैं
कुछ दिन पहले सिख समाज की संस्था शिरोमणि पंथ अकाली बुढ़ा दल के निहंगों (सिख साधु) का एक समूह इंदौर की पार्श्वनाथ कॉलोनी स्थित एक सिंधी मंदिर पहुंचा था। निहंग समूह ने कहा कि यहां श्री गुरुग्रंथ साहिब की मर्यादा का पालन नहीं किया जा रहा है। इसलिए वे गुरुग्रंथ साहिब को देखना चाह रहे हैं, लेकिन मंदिर बंद होने के कारण उन्हें पुजारी ने अगले दिन आने को कहा। इस दौरान विवाद की स्थिति बनी और घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वहीं राजमहल कॉलोनी में एक सिंधी गुरुद्वारे पर निहंग कमेटी का जत्था पहुंचा था, जहां से वे श्री गुरुग्रंथ साहिब ले गए। घटना के वीडियो वायरल होने के चलते पूरा मामला देशभर में फैल गया।
सिंधी धर्मगुरु और महामंडलेश्वर हंसराम उदासीन हरिशिवा उदासीन आश्रम, सनातन मंदिर आश्रम भीलवाड़ा और अभा सिंधु संत समाज के पूर्व अध्यक्ष सनातन को मानते हैं। गुरुग्रंथ साहिब के साथ ठाकुरजी, देवी-देवताओं की प्रतिमा, रामायण, भगवदगीता भी हमारे मंदिरों में रखते हैं। निहंग चाहते हैं कि सिंधी मंदिरों में यदि गुरुग्रंथ साहिब है तो अन्य कोई मूर्ति या ग्रंथ नहीं रखें। उन्हें हटवाने की कोशिशें की जा रही हैं, इस पर हमें ऐतराज है। वे हमारी मूर्तियों को पत्थर का बुत कहते हैं, हम ये कैसे सुन लेंगे।