मालवा-निमाड़ में दांव पर हैं दिग्गज

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इंदौर-1 इस सीट पर पूरे देश की निगाहें हैं। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय 10 साल बाद विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। मुकाबला कांग्रेस के वर्तमान विधायक संजय शुक्ला से है। चुनावी बाजी को अपने पक्ष में करने के लिए विजयवर्गीय ने कोई कसर बाकी नहीं रखी है। इसके बावजूद मुकाबला आसान नहीं है। विजयवर्गीय समर्थकों का दावा बड़े अंतर से जीत का है। शुक्ला भी जीत के प्रति आश्वस्त हैं। विजयवर्गीय और शुक्ला दोनों के राजनीतिक भविष्य का फैसला इसी चुनाव से होगा। यहां मध्यप्रदेश का सबसे महंगा चुनाव लड़ा जा रहा है। 

सोनकच्छ कमलनाथ के खास सिपहसालार सज्जनसिंह वर्मा 1984 में यहां से पहला चुनाव जीते थे। अभी तक यहां से पांच चुनाव जीत चुके हैं। इस बार मुकाबला इंदौर से भेजे गए डॉ. राजेश सोनकर से है। कुछ स्थानीय मुद्दे वर्मा के लिए बड़ी परेशानी का कारण बने हुए हैं। हालांकि ग्रामीण क्षेत्र में मजबूत पकड़ का फायदा भी मिल रहा है। डॉ. सोनकर पहले सांवेर से विधायक रह चुके हैं। इस बार सोनकच्छ में वर्मा को कड़ी चुनौती दे रहे हैं। संघ का नेटवर्क और वर्मा से लोगों की नाराजगी का फायदा इन्हें मिल रहा है। वर्मा गांव-गांव दस्तक दे रहे हैं। 

बुरहानपुर यहां इस बार अर्चना चिटनिस को कड़ी चुनौती मिल रही है। नंदकुमारसिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान बागी होकर मैदान में आ गए हैं। चौहान को अच्छा समर्थन मिल रहा है। पिछले चुनाव में सुरेंद्र सिंह शेरा ने निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए चिटनिस को शिकस्त दी थी। इस बार शेरा की स्थिति भी खराब है। अल्पसंख्यक समुदाय उनसे बहुत नाराज है और एआईएआईएम के समर्थन पर उम्मीदवार को मैदान में उतारा भी है। 

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